सॉफ्टवेर इंजीनियरिंग में सॉफ्टवेर बनाने का काम एक परतनुमा सरंचना बना कर करते हैं इसमें सबसे ऊपर टूल्स (tools) दूसरे में मेथड (Method) तीसरे में प्रोसेस (Process) और अंतिम परत सॉफ्टवेर कि विशेषता (Quality) कि होती है| इस परतनुमा सरंचना के अनुसार जब हम किसी सॉफ्टवेर का निर्माण करते हैं तो इसकी शुरुआत हमें इस सरंचना के निचे कि परत से कर ऊपर के तरफ करना होता है, इस तरह हमें सबसे पहले सॉफ्टवेर कि विशेषताओं पे ध्यान देना होता है और इस परत में हम यह तय करते हैं कि हमे किस प्रयोजन के लिए सॉफ्टवेर का निर्माण करना है और उसके लिए हमें इस सॉफ्टवेर के इन गुणों या विशेषताओं को ध्यान में रखना होगा| इसके बाद जब हम प्रोसेस परत में आते हैं तो इसमें हमें उन प्रक्रियाओं पे ध्यान देना होता है जिसके जरिये हम उस सॉफ्टवेर के विशेषताओं को प्राप्त कर सकें| सॉफ्टवेर इंजीनियरिंग के इस परत में एक फ्रेमवर्क (Framework) का भी जिक्र होता है जिसमे प्रोसेस के सभी नियमों का उल्लेख है इसे प्रोसेस फ्रेमवर्क कहते हैं| इसके बाद हम मेथड परत में आते हैं, यह परत पूर्णरुपेण तकनीकी परत होती है और इसी परत में हम मुख्यत सॉफ्टवेर को बनाते हैं इसमें वो सभी मेथड का प्रयोग करते हैं जो सॉफ्टवेर के निर्माण और उसके प्रोसेस को सुचारुपूर्वक चलाने के लिए जरुरी होते हैं| इसी परत में हम सॉफ्टवेर के लिए अनाल्य्सिस (Analysis), डिजाईन (Design), प्रोग्राम्मिंग (Programming) और टेस्टिंग (Testing) करते हैं| अंत में जब हम टूल्स परत में आते हैं तो इस परत में हम कुछ टूल्स का प्रयोग करते हैं जो स्वत सॉफ्टवेर निर्माण में सहायक होते हैं, इनके प्रयोग से हम किसी भी सॉफ्टवेर का निर्माण निर्धारित समय में सार्थकता सहित कर पाते हैं|
Fundamental Small Question 2 (Answer)
15 years ago
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